अच्छा लगा आपका आना - फुरशत मिले तो जरूर दो चार पंक्तिया पढें....हँसते रहिये, मुश्कुराते रहिये, और जीवन को इसी खूबसूरती से जीते रहिये...आपका....प्रभात
सुबह सुबह
आंखें खुलते ही
माँ का हाथ सिरपर पाता हूँ
बाल सहलाते हुए।
और फिर ठंडी ठंडी हवा के झोंके
मुझे जगाते हुए
आंखें खुलते ही।
प्रभात सर्द्वाल
are yaar, bachpan ki yaad dila dikya din theRavi Sinha
Post a Comment
1 comment:
are yaar, bachpan ki yaad dila di
kya din the
Ravi Sinha
Post a Comment