अच्छा लगा आपका आना - फुरशत मिले तो जरूर दो चार पंक्तिया पढें....हँसते रहिये, मुश्कुराते रहिये, और जीवन को इसी खूबसूरती से जीते रहिये...आपका....प्रभात

30 May 2009

सुबह सुबह

सुबह सुबह

आंखें खुलते ही

माँ का हाथ सिरपर पाता हूँ

बाल सहलाते हुए।

और फिर ठंडी ठंडी हवा के झोंके

मुझे जगाते हुए

सुबह सुबह

आंखें खुलते ही।

प्रभात सर्द्वाल

1 comment:

prabhat said...

are yaar, bachpan ki yaad dila di
kya din the
Ravi Sinha