अच्छा लगा आपका आना - फुरशत मिले तो जरूर दो चार पंक्तिया पढें....हँसते रहिये, मुश्कुराते रहिये, और जीवन को इसी खूबसूरती से जीते रहिये...आपका....प्रभात

16 May 2009

तुम और मैं

कल......
तुम मर गयी...........
साथ ले गयीं....
सारी खुशियाँ....
मेरा जीवन.....
निशब्द..................
और आज
मैंने भी
जहर खा liya

5 comments:

रवि कुमार, रावतभाटा said...

भगवान आपकी आत्मा को शान्ति दे...
गुरु आपकी जुंबिश कहां है?...

अच्छा प्रयास..और बेहतर के इंतज़ार में...

Unknown said...

ye kya kiya yaar, zahar kyon khaya?

वन्दना अवस्थी दुबे said...

swaagat hai..shubhkaamnayen.

Sanjay Grover said...

हुज़ूर आपका भी .......एहतिराम करता चलूं .....
इधर से गुज़रा था- सोचा- सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ

कृपया एक अत्यंत-आवश्यक समसामयिक व्यंग्य को पूरा करने में मेरी मदद करें। मेरा पता है:-
www.samwaadghar.blogspot.com
शुभकामनाओं सहित
संजय ग्रोवर

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।