अच्छा लगा आपका आना - फुरशत मिले तो जरूर दो चार पंक्तिया पढें....हँसते रहिये, मुश्कुराते रहिये, और जीवन को इसी खूबसूरती से जीते रहिये...आपका....प्रभात

05 June 2009

राहें जीवन की

राहें जीवन की
कितनी अँधेरी और असपस्त
कुछ भी नजर नही आता।

बस एक भीड़
अनजाने लोगों की
भागती हुई
किसी खोज में

राहें जीवन की
उलझनों से भरी हुई
एक पहेली, एक व्यथा
जिसका कोई ओर-छोर
मुझे सूझता नही।

प्रभात सर्द्वाल

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