विचार, लहरों की तरह,
कुछ देर के लिए, उठतें हैं,
और फिर, लहरों की ही तरह,
शांत हो जाते हैं।
कभी गंगा के पानी की तरह, स्वत्च और पवित्र,
कभी गटर और नाले के बदबूदार पानी के जेसे,
विचार कभी शक्ति हैं,
और कभी लाचारी के प्रतीक।
ये विचार, जेसे लहरें,
रोज जनम लेते हैं, मन के समंदर में।
प्रभात सर्द्वाल
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