अच्छा लगा आपका आना - फुरशत मिले तो जरूर दो चार पंक्तिया पढें....हँसते रहिये, मुश्कुराते रहिये, और जीवन को इसी खूबसूरती से जीते रहिये...आपका....प्रभात

07 February 2010

हुआ मुझे भी 'प्यार'

अभी-अभी कुछ ही दिन पहले
हुआ मुझे भी 'प्यार'
बच-बच कर था, में तो चलता
फिर भी हो बेठा शिकार
अभी अभी कुछ दिन ही पहले.

आंखें मिली थी आँखों से,या
दिल से मिला था, दिल
कुछ भी पक्का याद नहीं
पर ये होंठ गए थे, सिल
अभी-अभी कुछ ही दिन पहले.

फिल्मों में देखा करते थे
अब तो खुद पर सहते हैं
पहले चैन से सोते थे
अब करवट खाली बदलते हैं
सुख-चैन गया है, छिन
अभी-अभी कुछ ही दिन पहले.

दवा कोई ले आओ यारों
इस इश्के बीमारी की
वरना उनसे कह न बेठें
बातें पर्दादारी की
के जीना मुश्किल तेरे बिन
के रहना मुश्किल तेरे बिन
के अब तो हाल समझ मेरा
चढ़ बेठा मुझ पे ये बुखार
अभी-अभी कुछ ही दिन पहले.

प्रभात