अच्छा लगा आपका आना - फुरशत मिले तो जरूर दो चार पंक्तिया पढें....हँसते रहिये, मुश्कुराते रहिये, और जीवन को इसी खूबसूरती से जीते रहिये...आपका....प्रभात

27 February 2010

सांस मेरी थम गयी


कह न पायें तुझ से ये 
की जी न पायें तेरे बिन
सांस मेरी थम गयी
दिल में तू यूं रम गयी.

करता बातें सब से मैं
सामने तेरे मगर
कह न पाता कुछ भी मैं
कर न पाता कुछ भी मैं
सांस मेरी थम गयी
दिल में तू यूं रम गयी.

अब तलक खुशहाल था
दर्द से बेजार था
तुझ से मिलना जब हुआ
इश्क का जादू चला
में भूल बेठा खुद को यूं
न शब् ढली, न में ढला
सांस मेरी थम गयी
दिल में तू यूं रम गयी.

कुछ न भाए मुझको अब
शाम हो या हो सहर
मैं दूंदता हूँ बस तुझे
तू चाह, तू ही है डगर
तेरे बिन क्या जिंदगी
तेरे बिन क्या है ख़ुशी
सांस मेरी थम गयी
दिल में तू यूं रम गयी.


प्रभात

No comments: