अच्छा लगा आपका आना - फुरशत मिले तो जरूर दो चार पंक्तिया पढें....हँसते रहिये, मुश्कुराते रहिये, और जीवन को इसी खूबसूरती से जीते रहिये...आपका....प्रभात

10 October 2015


कभी कभी
बैठ के सोचता हूँ, तुझे
कभी कभी
बैठ के सोचता हूँ, तुझे


बीते दिन 
रातें वो 
साथ में तुम जो थे 
ना रही 
वो नजर 
ना रहे 
रास्ते 


फिर भी 
न  जाने क्यूँ 
एक कसक सी तो है 
आएगी तू कभी 
एक कमी सी तो है 


कभी कभी
बैठ के सोचता हूँ, तुझे
कभी कभी
बैठ के सोचता हूँ, तुझे।  

 


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