टकटकी लगाये
मुझे
देखता है
चाँद ऊपर से
टकटकी लगाये
मुझे
देखता है।
मैं भी
छुप छुप कर
आँखों के कोने से
उसे देखता हूँ
उसे देखता हूँ ।
हम रोज मिलते हैं
रात में
हफ़्तों से
सालों से
महीनो से
हम रोज मिलते है
रात में
हफ़्तों से
सालों से
महीनो से।
वो मुझसे से कहता है
अपने दिल का हाल
मैं उसको बतलाता हूँ
अपने दिल का हाल
कभी मैं रो जाता हूँ
कभी वो रो है
कभी मैं हंस जाता हूँ
कभी वो हंस जाता हों।
चाँद ऊपर से
टकटकी लगाये
मुझे
देखता है।।
(आपका प्रभात)
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