अच्छा लगा आपका आना - फुरशत मिले तो जरूर दो चार पंक्तिया पढें....हँसते रहिये, मुश्कुराते रहिये, और जीवन को इसी खूबसूरती से जीते रहिये...आपका....प्रभात

06 October 2014

चाँद और मैं


चाँद ऊपर से 
टकटकी लगाये 
मुझे 
देखता है 

चाँद ऊपर से 
टकटकी लगाये 
मुझे 
देखता है। 

मैं भी 
छुप छुप कर 
आँखों के कोने से 
उसे देखता हूँ 
उसे देखता हूँ । 

हम रोज मिलते हैं 
रात में 
हफ़्तों से 
सालों से 
महीनो से 

हम रोज मिलते है 
रात में 
हफ़्तों से 
 सालों से 
महीनो से। 

वो मुझसे से कहता है 
अपने दिल का हाल 
मैं उसको बतलाता हूँ 
अपने दिल का हाल 
कभी मैं रो जाता हूँ 
कभी वो रो है 
कभी मैं हंस जाता हूँ 
कभी वो हंस जाता हों। 

चाँद ऊपर से 
टकटकी लगाये 
मुझे 
देखता है।। 


(आपका प्रभात)






No comments: