अच्छा लगा आपका आना - फुरशत मिले तो जरूर दो चार पंक्तिया पढें....हँसते रहिये, मुश्कुराते रहिये, और जीवन को इसी खूबसूरती से जीते रहिये...आपका....प्रभात

12 July 2009

प्रिय वंदना

प्रिय वंदना, कैसी हो तुम,
मेरी वेदना, क्या जानो तुम,
किस हाल में, मैं जी रहा,
कभी हंस रहा, कभी रो रहा,
प्रिय वंदना, कैसी हो तुम।
क्या भूल पावुंगा कभी,
वो स्पर्श तेरे हाथों का,
तेरी आँखों का, तेरे होठों का,
तेरे मधुर, मदिर शब्दों का,
प्रिय वंदना, कैसी हो तुम।
न जी सकूं, न मर सकूं,
एक फ़ोन भी न कर सकूं (नव विवाह)
कह दो, अपने मात-पित से,
भेज दें सशुराल वो,
भेज दें ससुराल वो,
प्रिय वंदना, कैसी हो तुम।
यदि आयी न, शीघ्र तुम।
शीघ्र तुम, अति-शीघ्र तुम,
जीवित मुझे न पावोगी,
जीवित मुझे न पावोगी,
प्रिय वंदना, केसी हो तुम।
प्रभात सर्द्वाल

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