अच्छा लगा आपका आना - फुरशत मिले तो जरूर दो चार पंक्तिया पढें....हँसते रहिये, मुश्कुराते रहिये, और जीवन को इसी खूबसूरती से जीते रहिये...आपका....प्रभात

18 July 2009

तू और मदिरा

इस जीवन की कल्पना ,
तेरे बिन,
सम्भव नही,
मेरे लिए।

जब तक जीवन,
जब तक तन-मन,
तू संग मेरे,
तू अंग मेरे,
मांगू मैं साथ तेरा और मदिरा,
बने ये जीवन मदिरालय।

छोड़ के चिंता और चिंतन,
तेरे पास मैं आया हूँ,
जीवन बीते योवन मैं तेरे,
मदिरा का साथ भी न छूटे,
लोग तो कहते हैं, कहेंगे,
मैं चाहूं केवल साथ तेरा
मैं चाहूं केवल साथ तेरा,
और बस एक प्याला मदिरा।

प्रभात सर्द्वाल

1 comment:

ओम आर्य said...

bahut hi khub kahi .......gahare utare ho aapani nazam me .......badhaaee