इस जीवन की कल्पना ,
तेरे बिन,
सम्भव नही,
मेरे लिए।
जब तक जीवन,
जब तक तन-मन,
तू संग मेरे,
तू अंग मेरे,
मांगू मैं साथ तेरा और मदिरा,
बने ये जीवन मदिरालय।
छोड़ के चिंता और चिंतन,
तेरे पास मैं आया हूँ,
जीवन बीते योवन मैं तेरे,
मदिरा का साथ भी न छूटे,
लोग तो कहते हैं, कहेंगे,
मैं चाहूं केवल साथ तेरा
मैं चाहूं केवल साथ तेरा,
और बस एक प्याला मदिरा।
प्रभात सर्द्वाल
1 comment:
bahut hi khub kahi .......gahare utare ho aapani nazam me .......badhaaee
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