अच्छा लगा आपका आना - फुरशत मिले तो जरूर दो चार पंक्तिया पढें....हँसते रहिये, मुश्कुराते रहिये, और जीवन को इसी खूबसूरती से जीते रहिये...आपका....प्रभात

16 August 2009

मैं क्या कहूं


मैं क्या कहूं, केसे कहूं,
तू क्या है, मेरी प्राण-प्रिय,
तेरा योवन, तेरा तन-मन,
तेरा चितवन, तेरे नयन,
खुसबू तन की, और संग पवन।

बिन तेरे, जल बिन मछली मैं,
बिन तेरे, शांत अग्नी मैं,
जीवन का सार मेरे हैं, तू,
पुष्पों का हार मेरे है, तू,
आ, मेरे आलिंगन मैं आ,
आ, प्रेम की परिभाषा समझा,
आ, मुझे देवत्व से मिला।

मैं क्या कहूं, केसे कहूं।

प्रभात सर्द्वाल

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