जीवन मेरा मदिरा का प्याला
चला हूँ पथ पर में मतवाला
कलियों का घूंगत खोलूँगा
प्रीत की में भाषा बोलूँगा।
न राह रोके मेरी कोई
रंग-बिरंगी तितलियाँ
चंचल-चितवन बिजलियाँ
में देवदास, में मतवाला
जीवन मेरा मदिरा का प्याला।
बैठ के कुछ पल जीवन पथ पर
भूतकाल को घूरता हूँ
वर्तमान मेरा साथी
में फिर आगे चल देता हूँ
में प्रेम सुरा पीने वाला
जीवन मेरा मदिरा का प्याला।
हैं संगी साथी बहुत मेरे
हैं सुभचिन्तक भी बहुत मेरे
फिर भी में परसाई निराला
जीवन मेरा मदिरा का प्याला।
प्रभात सर्द्वाल
1 comment:
Wakai bahut khoobsoorat jeewan jeetain hai, Prabhat .
Accha laga padkar
Niranjan
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