किसको सुनाऊँ मैं वेदना
वेदना, मेरी वेदना
जो दुःख हैं, जीवन में मेरे
किसको दिखाऊँ पीर वो
हैं कौन जो मुझे सुन रहा
किसको सुनाऊँ, मैं वेदना।
सब देखते, हँसता हूँ मैं
बातें बड़ी करता हूँ मैं
देखे मगर मेरी पीर कौन
मेरे जखम कौन
मेरे आँसू कौन
किसको सुनाऊँ मैं ।
कई दर्द मेरे दिल मैं हैं
कई जखम सीने पे मेरे
पर यूँ न घबरा दिल मेरे
पर यूँ न घबरा दिल मेरे
शायद खुदा मेरे संग हो
शायद खुदा मेरे संग हो।
हर पल यूँ ही हँसता rahoon
गम को chipa के bajm मैं
हैं कौन जो mujhe सुन रहा
किसको सुनाऊँ main वेदना।
प्रभात sardwal
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