कॉलेज के वो दिन
अब भी याद आतें हैं
वो दोस्त, वो तराने
वो लड़कियां, वो फ़साने
अब भी याद आतें हैं।
कैंटीन मैं जाकर वो चाय पीना
दो रुपै वाली
दोस्तों के साथ वो बातें करना
बिना सिर-पैर वाली
वो क्लास्सैं बंक करना
वो कॉलेज की सीडियों पर बैठाना
वो सारी मोज-मस्ती के पल
गुदगुदाते हैं
कॉलेज के वो दिन
अब भी याद आतें हैं।
प्रभात सर्द्वाल
No comments:
Post a Comment