कभी आँखों से
कभी बातों से
कभी हंसकर के
कभी चुप रह कर
कितना कुछ कहती जाती है
ऐसी है, ये लड़की नैना।
कभी यहाँ पर
कभी वहां पर
हर पल कुछ नया सुनाती है
खुशियों का जहां रचाती
है
ऐसी है ये लड़की, नैना।
ये उन कम लोगों में से है
जिनकी आंखें भी गाती हैं
और उठती है, जब नींद से ये
खुद जिंदगी खुशियाँ मनाती हैं
ये नदी सी बहती जाती है
ऐसी है ये लड़की, नैना
हाँ, बस ऐसी ही है, ये लड़की नैना।
प्रभात सर्द्वाल
No comments:
Post a Comment