दिखला कर सपने सारे रंगीन
लेकर वादे जीवन भर के
फिर जाने क्यूं तुम चली गयीं
में फिर से तनहा हो गया।
जब आयी थी, जीवन में मेरे
तुम छायीं थी बदली बनकर
तुम जीवन थी, तुम सावन थी
तुम योवन थी, मन-भवन थी
फिर जाने क्यूं तुम चली गयी
में फिर से तनहा हो गया।
tujh में ही ढूंडा करते थे
मतलब हम इस जीवन के
तुम दिल थीं, तुम ही धड़कन थी
तुम मेरा जीवन-दर्पण थी
pहीर जाने क्यूं तुम चली गयीं
में फिर से तनहा हो गया
में फिर से तनहा हो गया।
प्रभात सर्द्वाल
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