बड़ा प्यारा है, मेरा गाँव
हाँ, बड़ा प्यारा है
भीड़-भाड़ से दूर
शोर शराबे से दूर
पहाडों मैं बसा हैं, मेरा गाँव।
न जाने क्या पाना था
जो छोड़ दिया वो गाँव
और फिर वापस मुड़ने का
मोका न मिला
लेकिन लगता है
आज भी मेरे इंतज़ार मैं
आंखें बिछाये खड़ा है
मेरा गाँव
बड़ा प्यारा है, मेरा गाँव
हाँ, बड़ा प्यारा है।
प्रभात सर्द्वाल
2 comments:
nice
Accha liktain hain Prabhat Ji,
Hamain apne gaon ki yaad aa gayee.
Rajeev Sinha
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